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September 04, 2025

पानी

पानी सिर्फ पानी है 

मेरी इज्जत नहीं कि आप 

उतार लें पानी 

और प्यास न बुझे

 

पानी मेरे देश का धर्म नहीं 

कि आप लड़ते रहें 

घंटे और अजान में फर्क करते रहे 

अपने-अपने देवता उछालते रहें 

कि वे टूटकर गिरते रहें 

कि उनके टुकड़े सीना चीरते रहें 

कि लोग मरते रहें

 

पानी शीशा भी नहीं 

शीशे के होते हैं देवता 

पानी सिर्फ पानी है 

आओ पानी पिएं गला तर करें 

प्याऊ पर पिएं या मेरे घर 

फैसला आपका है

 

आखिर शरीर में जो शीशे के टुकड़े धंसे हैं 

इन घावों से बहुत खून गिर चुका है 

जो बना गया है चिड़चिड़ा

 

डरें नहीं 

मेरे घर का पानी सिर्फ पानी है 

मेरी इज्जत नहीं 

कि आप उतार लें पानी 

तो टूटकर बिखरे 

और घुस जाए 

आपकी छाती में

 

पानी सिर्फ पानी है 

मेरे देश का धर्म और 

मेरी इज्जत नहीं कि 

आप उतारते रहें इनका पानी 

और प्यास न बुझे

 

(‘संभावना में बची आस्था’ से)